भारतरत्न पंडित भीमसेन जोशी "टेम्बा" अस्पताल में चलता है "रामराज्य" प्रशासन बेखबर , डॉक्टर मालामाल।
रामराज्य का मरीजों को होता है खुला अनुभव :
अज्ञानता वश यहाँ मरीज का हो रहा है बुरा हाल।
मिरा - भायंदर , ठाणे : अभी हाल में ही मिरा भायंदर मनपा द्वारा संचालित टेम्बा अस्पताल को महाराष्ट्र शाषण ने टेक ओवर किया। यहाँ लगभग १४ लाख से ऊपर की आबादी को पहला सरकारी अस्पताल मिला। फिर भी पहले से रामराज्य का आदत यहाँ के डाक्टरों कि नहीं गयी है। यहाँ कि मनपा पहले से ही विवादों में घिरे रहने तथा भ्रस्टाचार से मनपा का चोली दामन का साथ रहा है। फिर यह आदत इतने जल्दी कैसे जाने वाली है। इस अस्पताल की नींव ही भ्रस्टाचार पर कड़ी है चाहे वह अस्पताल बनवाने का ठेका हो या एम्बुलेंस या फिर अन्य बुनियादी जरूरतों के सामान खरीदना हो यहाँ २३% मूल्य का रकम किसी खास व्यक्ति को चढ़ावा के बिना कोई ठेका नहीं मिल सकता तो फिर वह ठेकेदार कैसे सामान का उपयोग करेगा इसका भगवान ही मालिक है। इसके बाद आयुक्त से लेकर बांधकाम के-अधिकारी से नगर सेवक तक को प्रसाद चढ़ाना लाजमी है। "तू भी चुप और मै भी चुप " कि निति लागु होती है।
इसमें डाक्टरों की न्यूक्ति तथा कर्मचारी भी इसका जीता जगता उदाहरण है। तभी तो यहाँ आये मरीजों का इस कलयुग में "रामराज्य " का अनुभव होता है।
मै सुचना अधिकार कार्यकर्ता संतोष तिवारी इस अस्पताल का जायजा लेने एक दिन अस्पताल में ठीक ९.०० गया। नियम तह मैंने ओपीडी काउंटर पर जाकर १०/- देकर एक परचा बनवाया। फिर मै १०.३० तक संपूर्ण अस्पताल का चक्कर काटते अस्पताल में मरीजों का बुरा हाल देखा। एक- दो ओपीडी को छोड़कर सब के सब डाक्टरों के टेबल खाली मिले। फिर मै पहले माले पर जाकर अस्पताल प्रशाषण के अधिकारिओ से इसकी शिकायत कर जनता को राहत दिलवाने की सोची। पर यहाँ तो ११.०० निचे से भी बुरा हाल मिला। खाली वहा मोबाईल पर वाट्सएप्प पर चैटिंग कर रहे दो कर्मचारी ५ मिनट के बाद कहा की हम महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारी है आप को डाक्टरों की शिकायत महानगर पालिका में करिये। हमने भी जींद वश थान कर बैठा की आज डाक्टर से मिलकर ही जाऊंगा तब कही जाकर मुझे डाक्ट्रर रूपी भगवन से दर्शन हुए। तब मै आँख ,कान , हड्डी , व एमर्जेन्सी सभी भगवानो से मुलाकात कर दवा रूपी प्रसाद लेने प्रसाद खिड़की पर गया। यहाँ तो चाय से गर्म केटली का भी अहसास हुआ। आधी दवा यहाँ मिली और आधी बहार से खरीद लेना यह शब्द मेरे कानो में सुनाई दी। पता चला की १२.०० भगवान अंतर लुप्त हो जाते है।
फिर हम निकल कर २१ दिसंबर २०१९
को मनपा उपायुक्त , वैधकिय विभाग को लिखित शिकायत की तथा सुचना अधिकार के तहत यहाँ तैनात डाक्टरों का समय सीमा व पिछले तीन माह का अटेंडेंस की जाँच करने की सोची इस कारन दस्तावेजों
को लेने हेतु आवेदन दिया।
तब जाकर हमें ३१ दिसंबर २०१९ का पत्र क्रमांक जा क्रमांक मनपा / मा अ /वैधकिय/२०५० /२०१९-२० मिला सुचना मिलकर बहुत राजदार बात का पता चला की टेम्भा अस्पताल में ओपीडी में डाक्टरों का आने का समय सुबह ९.०० से लेकर शाम ४.०० बजे तक है। क्या कभी किसी ने दोपहर १२ .०० से ४.०० के बीच किसी डाक्टरों को जनता का इलाज करते देखा है ? शायद नहीं ,मुझे पिछले तीन माह का डाक्टरों का हाजरी का दस्तावेज देने में मनपा प्रशाषन असमर्थ दिखाने दे रहा है।
मेरा मनपा अधिकारी, आयुक्त तथा मुख्य सचिव से जनहित में निवेदन है की कृपया कर इस मामले कि गंभीरता को देखते हुए अस्पताल में टाईम का पालन करवाए व सामान्य बिमारिओ की दवाये अस्पताल में ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध करवाए।
डाक्टरों को बाहर की दवाये लिखने पर पाबंधी लगाए वार्ना इन डाक्टरों द्वारा कमिशन खोरी दवा दुकानों से जोरो पर शुरू हो सकती है ऐसी घटना को नाकारा नहीं जा सकता।
९.०० से ४.०० कभी भी अस्पताल में बांहरी अधिकारिओ से अचौक निरिक्षण अनिवार्य करवाए।
संतोष तिवारी
सुचना अधिकार कार्यकर्ता व समाज सेवक
9820228621 /9473734487
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