महाराष्ट्र : ठाणे, मीरा भयंदर महानगरपालिका, टैक्स भरे जनता माल काटे अधिकारी मलाई खाए ठेकेदार, नीचे दिए गए फोटो में आप मीरा भयंदर महानगर पालिका द्वारा लाखों रुपए खर्च कर जनता के पैसे से ठेकेदार और अधिकारी कमीशन खोरी कर लागत मूल्य से अधिक रुपयों का संसाधन जनता के लिए कम अपने लिए ज्यादा करने में दिन रात लगे रहते हैं। तकरीबन 1 महीने से मैं देख रहा हूं कि गोल्डन नेस्ट सर्कल पर लाखों रुपए खर्च कर हाई मास्क लाइट लगाया गया है जिसमें 13 में से सात लाइटें बंद है तथा उसी के बगल में नया नगर जाने वाले रास्ते पर हाई मास्क लगभग सभी लाइटें बंद है वहां से लेकर मैक्सिस मॉल ब्रिज के ऊपर हर अल्टरनेटिव लाइट बंद है मैक्सिस मॉल सर्कल का सिग्नल भी गरीबन दो ढाई महीने से यही हाल है इस सर्कल से सिग्नल से लेकर सुभाष चंद्र मैदान तक रास्ते में पड़ने वाले अल्टरनेटिव लाइट ज्यादातर बंद ही रहती है। किसी को कोई पडी नहीं है यह देख कर बहुत कष्ट होता है। गोल्डन में सर्कल काशीमीरा आते समय दीपक हॉस्पिटल सर्कल पर भी सिग्नल लाइट काफी दिनों से बंद पड़ा है अब सवाल बंद चालू का नहीं है मीरा भाईंदर महानगरपालिका ...
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आरटीआई से खुला राज "आज तक आये सभी आयुक्त ने भी नहीं निभाया अपनी जिम्मेदारियाँ।"
भारत का सबसे भ्रस्ट महानगर पालिका बनाने का जिम्मेदार कौन ?
आज खुलेगा इस रहस्य से पर्दा , सुचना में मिले दस्तावेज।
किस किस ने कैसे और क्यों लुटा इस महानगर को ?
इस भरस्टाचार को देख क्या रही अधिकारिओ की भूमिका ?
संतोष कुमार तिवारी
(सूचना अधिकार कार्यकर्ता )
9820228621 /9473734487
खोलेंगे आज सबसे बड़ा राज
भस्टाचार , भ्रस्टाचार , भ्रस्टाचार आये दिन समाचार पत्रों , डिजिटल न्यूज़ चैनलों तथा प्रधान मंत्री से लेकर राज्य सरकारों के हर महकमों एव यहा तक केंद्र सरकार तक ऑनलाइन शपथ लेने तक की कवायत कर रही है। सम्पूर्ण भारत में ईमानदारी की पाठशाला चलाई जा रही है। यहा तक की "प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट १९८८" को संशोधन किया गया। परंतु यह किस चिड़िया का नाम है ?
आज तक जनता इससे रूबरू होती नहीं है या सरकार होने देना नहीं चाहती है "यह अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्न है। मीरा भायंदर शहर महानगर पालिका के विषय में आये दिन अपने अपने समाचार के माध्यम कुछ ईमानदार पत्रकार लगातार यहाँ हो रहे भ्रस्टाचार के विषय में छापटे रहते है तथा उसकी शिकायत मनपा आयुक्त से लेकर आला अधिकारिओ तक को शिकायत लिखीत करते रहते है परंतु वही ढाक के तीन पात वाली हालत होती है। विरले ही कभी किसी अधिकारी या कर्मचारीओ पर कार्यवाही होती है , ज्यादा दबाव में आला अधिकारी विभागीय जाँच का हवाला देकर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है। इस सभी से प्रकरण को देखते हुए तथा भ्रष्टाचार क्यों हो रहा है इसका निदान क्या है मैंने जाँच पड़ताल तथा कुछ अनुभवी लोगो से परामर्श करने के बाद मुख्य मुद्दे पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहुगा।
सर्व प्रथम मैंने मनपा अधिकारिओ का क्या कार्य है इस विषय पर अध्यन किया। मुझे अध्यन में पता चला की मीरा भायंदर में कुल ६ प्रभाग जिसका जनता या आम नागरिको को सीधा सरोकार होता है। इन प्रभाग अधिकारिओ का चार मुख्य कार्य होता है।
जनता के कर (टैक्स) के रूप मे धन वसूलना।
अपने अपने प्रभाग में हो रहे अतिक्रम को रोकना तथा कार्यवाही करना।
आम नागरिको का शिकायत लेना।
उन शिकायतों का निवारण करना।
इसको लेकर मैंने मीरा भायंदर के सभी प्रभागों में सुचना अधिकार -२००५ के अंतर्गत सन २०१५ से २०१९ तक प्रत्येक प्रभागों में जनता द्वारा किये गए शिकायतों कि प्रत तथा प्रभाग कार्यालयों में प्रभाग अधिकारी द्वारा उन प्रत्येक शिकायती आवेदनों पर किये गए निवारणों की प्रत साथ में आवक - जावक रजिस्टर कि नक़ल संन २०१५ से २०१९ तक की मांगी थी। जिससे यह खुलासा हो सके कि क्या जनता के शिकायतों पर सभी प्रभाग अधिकारी ईमानदारी से सुनते है या नहीं।
दस्तावेजों के अवलोकन करने से यह पता चला की इन तीन सालो में ६००० से ७००० शिकायते जनता द्वारा किये गए है इस अनुपात में ३० प्रतिशत भी शिकायतों का निवारण कर जनता को राहत नहीं प्रदान की गयी है। दूसरी बात यह खुलकर सामने आयी है कि प्रत्येक प्रभाग अधिकारी के पास अपने कुछ दलाल पाले हुए है जो बारंबार प्रभाग अधिकारी के एक प्रभाग से दूसरे प्रभाग में बदली होने के बाद उनके शिकायतों का नए प्रभाग में संख्या बढ़ जाता है कहने का तात्पर्य यह है की प्रभाग अधिकारिओ के इशारे पर दलालो द्वारा शिकायत करवाकर मोटी रकम वसूली जाती है रकम ना मिलने या सेटिंग न होने की सूरत में अनधिकृत बांधकाम को तोड़ दिया जाता है। भस्टाचार के आरोप में पकड़ाने के डर से इन दलालो के माध्यम से पैसो के लेनदेन की जाती है। प्रत्येक प्रभागों में कुछ चुनिंदे दलाल को उनकी विभिन्न शिकायतों से उनका पता लगाया जा सकता है। ऐसे चन्हित दलालो पर प्रसाशनिक कार्यवाही अनिवार्य है और गहराई से अध्यन करने पर यह पता चला की यह दलाल साल के ३६५ दिन प्रभाग कार्यालयों तथा मनपा मुख्यालय में बेकाम के चक्कर लगते रहते है उनका कमाई का कोई जरिया अन्य नहीं है।
इस बात को लेकर हमने प्रभाग कार्यालय ४ पर ८ नव्हंबर २०१९ को सांकेतिक धरना भी किया गया
और इसका ज्ञापन लेकर मनपा आयुक्त श्री बालाजी खातगावकर से मुलाकात की तथा मनपा प्रशासन व महारास्ट्र सरकार को ऐसे
भस्टाचार पर नकेल कसने के कुछ उपाए बताये।
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परन्तु मनपा प्रशासन के आयुक्त श्री बालाजी खतगॉवकर पर कुछ असर दीखता नजर नहीं आ रहा है।
हमारा दूसरा सुचना का अधिकार निम्नलिखित था कि
A.manapa
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Ga.
Aayau@t yaa Anya AiQakarIyaao Wvaara p`%yaok p`Baagaao mao AcaaOk inairxaNa
ikyaa gayaa hao tao ]saik vaYaa-nausaar p`t p`dana krayao.
जबाब देखकर आप का दिमांग चकरा जाएगा कि क्यों ना हो भरष्टाचार महानगर पालिका में।
प्रभाग क्रमांक १ ) प्रभाग अधिकारी श्री सुनील यादव का जबाब। १,२,३,४, मुद्दों पर अभिलेख उपलब्ध ना होने में दे नहीं सकते ???
प्रभाग क्रमांक ३ ) प्रभाग अधिकारी श्री दीपाली जोशी का जबाब।
१,२,३,४, मुद्दों पर कौनसी भी जानकारी उपलबध नहीं है।
१,२,३,४, मुद्दों पर कौनसी भी जानकारी उपलबध नहीं है।
प्रभाग क्रमांक ५ ) प्रभाग अधिकारी श्री सुदाम गोडसे का जबाब। १,२,३,४, मुद्दों पर कौनसी भी जानकारी उपलबध नहीं है।
प्रभाग क्रमांक ६ ) प्रभाग अधिकारी श्री चंद्रकांत बोरसे का जबाब।
१,२,३,४, मुद्दों पर कौनसी भी जानकारी उपलबध नहीं है।
सामान्य प्रशासन मनपा द्वारा दिया गया पत्र।
सामान्य प्रशासन मनपा मुख्यालय द्वारा प्रत्येक विभाग प्रमुख को हमारे उपरोक्त सूचना का अधिकार द्वारा मांगे गए दस्तावेजों को देने हेतु वर्ग किया गया पत्र।
सामान्य प्रशासन के पत्र के बाद मनपा उप आयुक्त कार्यालय से उनके सचिव द्वारा बताया गया की यह जानकारी उपायुक्त मुख्यालय में सम्बंदित है इस कार्यलय में इस प्रकार की जानकारी दस्तावेज के महानगर पालिका स्थापना बनने से लेकर अब तक उपलबध नहीं है।
आयुक्त कार्यालय से उनके सचिव श्री महेश भोंषले द्वारा बताया गया की इस प्रकार की जानकारी मनपा आयुक्त कायालय में नहीं है।
सुचना अधिकार पाथम अपील में उपायुक्त श्री सुनील लहाने द्वारा सूचना देने का आदेश दिया। उस आदेश की प्रत।
उपरोक्त दस्तावेजों के निरिक्षण से यह मतलब निकल के सामने आता है की मीरा भायंदर शहर महानगर पालिका में आज तक आयुक्त ही सबसे ज्यादा भ्रष्ट अधिकारी आये है। और मनपा स्थापना होने के बाद से आज तक कोई भी आयुक्त यहापर आये सभी ने दोनों हाथो से खुल कर मनपा कोष एव जनता के गाढ़ी कमाई के टेक्स के पैसो के साथ खुलकर खजाना लुटा है।
किसी नहीं अधिकारी को ट्रेनिंग के द्वौरान
"PUBLIC ADMINISTRATION"
तथा
"ADMINISTRATIVE AUDIT"
१ इन दो विषयो की जानकारी का होना प्रथम विषय होता है किस तरह जनता पर उनके अधिकार पर उनके हित को ध्यान में रखकर शाषन करना है।
२ अपने अधीनस्थ कर्मचारीओ द्वारा जो भी प्रशासनिक कार्य है वह सही तरह से कर रहे या नहीं उनकी जाँच करना और सुचारु रूप से सरकारी प्रक्रिया के तहत कार्य करवाना। मासिक , तिमाही ,छमाही तथा वार्षिक बताये गए कार्यो का अव्हाल अपने कार्यालय में मंगवाना तथा उन से कार्यालय में दस्तावेजों तथा किये गए कार्य का अचौक निरिक्षण करना होता है।
यहाँ पर सन २००२ से आज तक ११ से अधिक आयुक्त आये और चले गए परन्तु किसी ने भी अपने कर्त्वयों का सही रूप से दायित्वा नहीं निभाया। उसका प्रत्यक्छ प्रमाण दस्तावेजों के रूप में आप के सामने है।
जनता के पैसो से इन आयुक्तों को 6 आकड़ो में सरकारी वेतन + आवास +भत्ता +बोनस +वाहन +ड्राइवर +निजी सचिव +चपरासी +मेडिकल +अन्य सुविधाओं के साथ साथ नित्य नए विकाश के काम के नाम पर ठेकेदारों से कमीशन मिलना स्वाभाविक है तो यह जनता के कामो पर तथा अपने कर्तयो पर ध्यान कैसे दे ? बहुत बड़ा प्रश्न है।
इसके अलावा नगर रचना विभाग + बांधकाम विभाग +परिवहन विभाग +पानी विभाग + घन कचरा विभाग +आरोग्य विभाग + अन्य विभाग आदि में पहले से बैठे भ्रस्ट अधिकारी जो १० से १५ सालो से एक ही विभाग में कुण्डली मार के बैठे है उनके द्वारा खुद की कंपनी खोल व किसी दूसरे ठेकेदारों को सामने कर अप्रत्यक्छ रूप से सरकारी वेतन पर कंपनी चलना आम बात हो गए है।
जब कोई आयुक्त मनपा में आता है उसके मुख में भरस्टाचार के रक्त का स्वाद यह लगा देते है। या उस आयुक्त का हप्ता बाँध दिया जाता है। इसमें नेता से लेकर अधिकारी तक अपनी या अपने किसी रिस्तेदार के नाम से कम्पनिया चलाकर अपना ८% से २३ % तक कमीशन लेकर जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डालने काम किया जाता है और जो ईमानदार आयुक्त इस लाभ को लेते से मना करता है उसका हाल ( पूर्व आयुक्त )मा. विक्रम कुमार जैसे हो जाता है।
इस विषय पर हमने पूर्व में भी मुख्य सचिव श्री डी. के. जैन महाराष्ट्र शाषन को भी पत्र लिख कर अवगत कराया था और आये भष्ट अधिकरिओ का तबादला करने की मांग ५ फरवरी २०१९ की थी।
लेकिन आस्चर्य की बात यह है की महाराष्ट्र शाषन को शिकायत करने पर कार्यवाही करने की बजाय इस शिकायत को अपना आयुक्त कार्यालय भायंदर को रेफर कर दिया जाता है और यहाँ पर
आयुक्त महोदय श्री बालाजी खतगावकर महोदय कार्यवाही या अपनी रिपोर्ट शाषन को भेजने के बजाय बांधकाम विभाग के श्री दीपक खंबित द्वारा इसका जबाब इस पत्र के माधयम से गुमराह किया जाता है आज तक यह नहीं समाज आया की आयुक्त बड़ा अधिकाती है या
कार्यकारी अभियंता बांधकाम विभाग के श्री खंबित जी। इसकी शिकायत मा. लोक आयुक्त महोदय के पास प्रलंबीत है
यह सब मै आप सभी भाईओ के जानकारी हेतु बता कर अवगत कराना चाह्ता था की आप लोग कितना भी भ्रस्टाचार को लेकर अपने पेपर में छापिए , हो हल्ला मचाईये जब तक प्रशाषनिक इच्छा शक्ति सरकार की ना होतो तब तक भ्रस्टाचार पर लगाम नहीं लगाया जा सकता। ईमानदारी तो सभी को अच्छी लगती है पर ईमानदार कोई नहीं बनना चाहता ? क्यों
जब तक महरास्ट्र सरकार या केंद्र सरकार ऐसे आयुक्तों पर अंकुश नहीं लगाती तब तक यह असंभव है।
आशा है की आप लोगो को मेरी बात समझ आ गयी होगी अपना समय और शिकायत कही भी करते रहने से कुछ नहीं होने वाला कारन की यह पैसा ऊपर तक जाता है।
खांबीत के "खंभे" पर अटकी जानकर की "जान " आरटीआई के"४४0 वोल्ट" के झटके से ठेकेदार "बेहाल " महाराष्ट्र के जिला ठाणे , मिरा भायंदर कि महानगर पालिका जो सन २००२ में नगरपरिषद से महानगर पालिका बनकर अस्तित्व में आयी। मुंबई से सटे होने के कारण लोगो का झुकाव इस तरह दिन दुगनी बढ़ने लगा। जनसँख्या के साथ साथ लोगो के जरुरी संसाधन जुटाने का काम यहाँ कि नगर पालिका पर प्रतिदिन बढ़ने लगा। जिसमे सड़क ,बिजली ,जल ,घनकचरा और साथ ही साथ अतिक्रमण। पहले ग्राम पंचायत फिर नगर परिषद् / नगर पालिका अब मिरा भायंदर "महानगर पालिका" बनने से आवश्यक जनउपयोगी संसाधन जुटाने हेतु कर्मचारीओ की कमी पड़ने पर कर्मचारीओ कि नियुक्ति ठेका पद्धत से पालिका करने लगी। कुछ चतुर प्रवत्ति तथा चापलूसी प्रवत्ति के ठेका पद्दत से आये "ठेका अधिकारी" यहाँ की राजनीती को समय के हिसाब से समझ कर "समय - समय" पर जनता द्वारा चुने गए "नेताओ " कि चाटुकारिता कर पक्ष व् विपक्ष के दलों के भावनाओ से साथ "आर्थिक व मानसिक" साथ देकर जल्द ही नेताओ के ल...
मिरा भायंदर महानगर पालिका मे अवैध मोबाईल टावरो कि भरमार।। महानगर पालिका अधिनियम 1949 का कालम 260 का हवाला देकर प्रभाग अधिकारीयो ने कि जेब भारी। मिरा भायंदर : सुचना अधिकार कार्यकार्ता संतोष कुमार तिवारी ने मिराभायंदर महानगर पालिका मे वर्ष 2016 मे सुचना अधिकार के तहत मनपा श्रेत्र मे लगे अनाधिकृत मोबाईल टावरो कि लिस्ट जो टीआरआई व मा. उच्च्यतम न्यायालय के दिशानिर्देश के विपरीत है मांगी थी। आपको जानकारी हेतु यह जानना अत्यंत आवश्तयक है कि मनपा नगररचना विभाग ने पत्र क्रमांक मनपा/नर 3191/ 16- 17 दिनांक 15/10/2016 को स्वय मनपा उप आयुक्त को पत्र लिखकर शासन के पत्र क्रमांक मिभाम /1316/107 /नवि – 28 दिनांक 17/6/16 व 17 5/16 के पत्र के जबाब मे माना था कि मनपा क्षेत्र मे परवानगी प्राप्त 55 मोबाईल टार्वस तथा मुद्वतवाढ ना लेने के कारण अनाधिकृत 224 व मोवाईल टावर्स का परवानगी सवंधित विभाग के पास अर्ज त्रुटी के कारण नामंजुर 336 हुए है।मनपा इन मोबाईल टावरो मे जो मोबाईल कंपनीया बंद हो चुकि है उन...
भारतरत्न पंडित भीमसेन जोशी "टेम्बा" अस्पताल में चलता है "रामराज्य" प्रशासन बेखबर , डॉक्टर मालामाल। रामराज्य का मरीजों को होता है खुला अनुभव : अज्ञानता वश यहाँ मरीज का हो रहा है बुरा हाल। मिरा - भायंदर , ठाणे : अभी हाल में ही मिरा भायंदर मनपा द्वारा संचालित टेम्बा अस्पताल को महाराष्ट्र शाषण ने टेक ओवर किया। यहाँ लगभग १४ लाख से ऊपर की आबादी को पहला सरकारी अस्पताल मिला। फिर भी पहले से रामराज्य का आदत यहाँ के डाक्टरों कि नहीं गयी है। यहाँ कि मनपा पहले से ही विवादों में घिरे रहने तथा भ्रस्टाचार से मनपा का चोली दामन का साथ रहा है। फिर यह आदत इतने जल्दी कैसे जाने वाली है। इस अस्पताल की नींव ही भ्रस्टाचार पर कड़ी है चाहे वह अस्पताल बनवाने का ठेका हो या एम्बुलेंस या फिर अन्य बुनियादी जरूरतों के सामान खरीदना हो यहाँ २३% मूल्य का रकम किसी खास व्यक्ति को चढ़ावा के बिना कोई ठेका नहीं मिल सकता तो फिर वह ठेकेदार कैसे सामान का उपयोग करेगा इसका भगवान ही मालिक है। इसके बाद आयुक्त से लेकर बांधकाम के-अधिकारी से नगर सेवक तक को प्रसाद चढ़ा...
वरिष्ठ शिवसेना नगर सेविका व सभापति प्रभाग ४ (मनपा ) श्रीमती तारा घरत महाराष्ट्र : ठाणे,मिरा -भायंदर महानगर पालिका को अपने चुंगल में ले चुके दीपक खंबित ने भाजपा द्वारा शिवसेना को युति के नाम पर घोटा लोकतन्त्र का गला। "खंबित का खेल" ( भाजपा ने युति के नाम पर घोटा लोकतंत्र का गला, किया शिवसेना से विश्वास घात ) महारष्ट्र में शिवसेना भाजपा दोनों मिलकर हमेशा सरकार बनाने के कारण छोटे भाई और बड़े भाई की भूमिका में रहती है। यह विधान सभा में आपसी विरोध के कारण दोनों हो पार्टिया सन २०१४ अगल अलग चुनाव लड़ी। मिरा भायंदर महानगर में एक छत्र राज चलाने वाले "कार्यकारी अभियंता श्री दीपक खंबित "द्वारा हमेशा से ही लुटा जाता रहा है। "आचार सहिता" से पूर्व खेला गया पूर्व नियोजित तरीके से भरस्टाचार का खेल। इस की विस्तृत जानकारी के लिए इस लिंक पर जाये। दीपक खंबित का खेल : https://rtiactivistsantoshtiwari.blogspot.com/ कमेटी के मीटिंग अचानक मीरा भायंदर नगर पालिका में दिनाक ६/सितम्बर २०१९ को ...
सौर ऊर्जा के नाम पर भ्रस्ट अधिकारिओ का का ला सच प्रेस नोट अंधेर नगरी चौपट राजा , तु भी खायेजा हम भी खायेजा । ......... मिरा भायंदर महानगर पालिका में सौर ऊर्जा घोटाला क्यों है महाराष्ट्र की यह महानगर पालिका कंगाल ???? में मिराक्लस इलेक्ट्रॉनिक्स सोल्युशन इंडिया प्रा लि का क्या है इस खेल में कंनेक्शन ?? वैसे तो मिरा भायंदर महानगर पालिका का सार्वजनिक बांधकाम विभाग संपूर्ण महाराष्ट्र में भ्रस्टाचार के मामले में अव्वल नंबर पर आता है। इसमें आपको कोई अतिसूक्ति नहीं होनी चाहिए। इस खेल के लिए अधिकारी ठेकेदारों के मार्फ़त अपनी आय को दुगना और चार गुना करने में दिनरात प्रयत्नशील रहते है। भरष्टाचार के दो मुख्य चेहरे Mr.Prashant Jankar ( Jr...
भारत में भ्रष्टाचार अंग्रेजों ने भारत के राजा महाराजाओं को भ्रष्ट करके भारत को गुलाम बनाया। उसके बाद उन्होने योजनाबद्ध तरीके से भारत में भ्रष्टाचार को बढावा दिया और भ्रष्टाचार को गुलाम बनाये रखने के प्रभावी हथियार की तरह इस्तेमाल किया। देश में भ्रष्टाचार भले ही वर्तमान में सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है, लेकिन भ्रष्टाचार ब्रिटिश शासनकाल में ही होने लगा था जिसे वे हमारे राजनेताओं को विरासत में देकर गये थे। चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। आजादी के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था और उस समय संसद में इस बात पर बहस भी होती थी। 21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई बहस में डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था " सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है। " भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़...
संतोष तिवारी (सुचना अधिकार कार्यकर्ता ) 15 जून 2005 को इसे अधिनियमित किया गया और पूर्णतया 12 अक्टूबर 2005 को सम्पूर्ण धाराओं के साथ लागू कर दिया गया। सूचना का अधिकार अर्थात राईट टू इन्फाॅरमेशन। सूचना का अधिकार का तात्पर्य है, सूचना पाने का अधिकार, जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। सूचना अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को अपनी कार्य और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करता है। लोकतंत्र में देश की जनता अपनी चुनी हुए व्यक्ति को शासन करने का अवसर प्रदान करती है और यह अपेक्षा करती है कि सरकार पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने दायित्वों का पालन करेगी। लेकिन कालान्तर में अधिकांश राष्ट्रों ने अपने दायित्वों का गला घोटते हुए पारदर्शिता और ईमानदारी की बोटियाँ नोंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी और भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े कीर्तिमान कायम करने को एक भी मौक अपने हाथ से गवाना नहीं भूले। भ्रष्टाचार के इन कीर्तिमानों को स्थापित करने के लिए हर वो कार्य किया जो जनविरोधी और अलोकतांत्रिक हैं। सरकारे यह भूल जाती है कि जनता ने उन्ह...
भारत से कई साल पहले शुरू हुआ था पाकिस्तानी स्पेस प्रोग्राम पाकिस्तानी 'सुपारको' की स्थापना 1961 में हुई थी जबकि भारतीय 'इसरो' की स्थापना करीब इसके 8 साल बाद 1969 में हुई थी. पाकिस्तान लंबी लंबी बातें तो बहुत करता है. अंतरिक्ष को लेकर भी उसने भारत से कहीं पहले अपने स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत की थी लेकिन अब तो इस मामले में इतना पिछड़ चुका है कि जब वो अंतरिक्ष या चांद पर जाने की बात करता है तो खुद उसके देश के लोग ही उसकी हंसी उड़ाने लगते हैं. आखिर क्यों पाकिस्तान अंतरिक्ष के मामले में टांय-टांय फिस्स हो गया. हम सब ये जानते हैं कि भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो दुनिया की सबसे ताकतवर स्पेस एजेंसियों में से एक है. लेकिन क्या आपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी सुपारको के बारे में सुना है.बहुत कम लोगों को मालूम है कि भारत से कई साल पहले शुरू हुआ था पाकिस्तानी स्पेस प्रोग्राम. सुपारको की स्थापना 1961 में हुई थी जबकि इसरो की स्थापना करीब इसके आठ साल बाद 1969 में हुई थी. साल 1960 में पाक में सबसे बड़े शहर कराची में पाकिस्तान-अमरीकी काउंसिल का लेक्चर ...
भ्रष्टाचार पर PHD करने वाले महा-भ्रष्ट अधिकारी श्री दीपक खंबित पर संसार के सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी को रिसर्च करने की आवश्यकता है। कैसे सरकार के नजरों में अच्छा बनकर पैसा कमाया जाता है। Deepak Bhaskar Khambit Addl. City Engineer MBMC फंस जाने पर कैसे गुमराह कर जांच एजेंसियां से लेकर विभागीय अधिकारियों तक गुमराह किया जाता है यह कोई श्री खंबित से सीखना चाहिए। सन 1994 में मात्र2500 रुपए में 30 दिन आठ घंटे काम करने हेतु ठेका कर्मचारी ( डिप्लोमा होल्डर) से आज इस मिरा भयंदर शहर का सिटी इंजीनियर सभी को खुश रखते हुए बन गए है। जिनके पास आज भी डिप्लोमा ही है, मौजा नवघर के 122D में श्मशान हेतु आरक्षित भूमि है इस आरक्षित भूमि पर बिना शासन से मंजूरी लिए बिना ...
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